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karwa chauth 2024:

karwa chauth 2024

karwa chauth 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

अक्टूबर का महीना भारत में त्योहारों का उत्सव लेकर आता है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय नवरात्रि, दशहरा और धनतेरस जैसे कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। इसी पावन माह में करवा चौथ का व्रत आता है, जिसे कठिन व्रत माना जाता है।

karwa chauth 2024 का महत्व

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन व्रति महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है।

कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत?

पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन व्यतीपात योग के साथ कृत्तिका नक्षत्र का संयोग हो रहा है, जिससे इस व्रत की महत्वता और भी बढ़ जाती है।

शुभ मुहूर्त

इस व्रत का शुभ मुहूर्त शाम को होगा, जब महिलाएं चंद्रमा के उदय के बाद अर्ध्य देकर और अपने पति के चेहरे को देखकर उपवास समाप्त करेंगी।

karwa chauth 2024 का चंद्रोदय समय

इस वर्ष चंद्रोदय का समय 20 अक्टूबर 2024 को रात 07:54 बजे होगा। विभिन्न शहरों में यह समय थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए महिलाओं को अपने शहर के अनुसार समय का ध्यान रखना चाहिए। चांद की पूजा के बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।

 करवा चौथ व्रत की कठिनाई

करवा चौथ का व्रत अत्यंत कठिन होता है। व्रति महिलाएं सुबह से निराहार रहती हैं और केवल चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन व्रति महिलाएं संपूर्ण दिन उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा के बाद अर्ध्य देकर और अपने पति का चेहरा देखकर उपवास समाप्त करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।

 व्रत की तैयारी

करवा चौथ के व्रत की तैयारी महिलाएं पहले से ही शुरू कर देती हैं। वे नए वस्त्र, आभूषण और मेंहदी की तैयारी करती हैं, ताकि इस दिन को खास बना सकें। इस दिन महिलाएं करवा चौथ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा विधि विशेष होती है। इस दिन महिलाएं सज-संवरकर संध्या के समय करवा चौथ की कथा सुनती हैं और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। पूजा में मिट्टी का करवा, रोली, चावल, फूल, दीपक, मिठाई आदि का प्रयोग होता है।

करवा चौथ का महत्व और आधुनिक जीवन

आधुनिक जीवन में भी करवा चौथ का महत्व कम नहीं हुआ है। महिलाएं इसे बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जो परिवार में खुशहाली और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है।

 उत्सव का माहौल

करवा चौथ का व्रत एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। महिलाएं अपनी सहेलियों और परिवार के साथ मिलकर पूजा करती हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं। इस दिन का माहौल उत्साहपूर्ण और खुशियों से भरा होता है।

 निष्कर्ष

करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। करवा चौथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी। यह परिवार में प्रेम और समर्पण की भावना को मजबूत करता है।

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